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गुरु नानक जयंती, जिसे गुरपुरब भी कहा जाता है, सिख धर्म का एक प्रमुख पर्व है। यह सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु, गुरु नानक देव जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ दुनियाभर के सिखों द्वारा मनाया जाता है। गुरु नानक जयंती कार्तिक महीने की पूर्णिमा (पूर्णमासी) के दिन मनाई जाती है, जो हिन्दू चंद्र कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर-नवंबर में आती है। 2024 में गुरु नानक जयंती 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गुरु नानक जयंती का गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है क्योंकि यह गुरु नानक की शिक्षाओं को सम्मानित करता है, जिनका मुख्य संदेश समानता, विनम्रता, करुणा और ईश्वर की भक्ति पर आधारित है। उनकी शिक्षाएं धर्म, जाति और समाजिक सीमाओं से परे थीं और उन्होंने मानवता की एकता का संदेश दिया। गुरु नानक की तीन मुख्य शिक्षाएं हैं:
- नाम जपो (ईश्वर के नाम का स्मरण): भक्तों को अपने जीवन में ईश्वर का नाम जपने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- किरत करो (ईमानदारी से आजीविका कमाओ): गुरु नानक ने मेहनत और ईमानदारी से कमाई करने पर बल दिया।
- वंड छको (साझा करना): दूसरों के साथ अपनी संपत्ति और खुशी साझा करने और समाज के कमजोर वर्गों की मदद करने की शिक्षा दी।
गुरु नानक की ये शिक्षाएं सिख धर्म की बुनियाद हैं और इस त्योहार के दौरान इन्हीं का पालन किया जाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गुरु नानक का जन्म 1469 में वर्तमान पाकिस्तान के ननकाना साहिब नामक स्थान पर हुआ था। बचपन से ही वे अद्वितीय आध्यात्मिकता के धनी थे और तत्कालीन धार्मिक प्रथाओं पर सवाल उठाते थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में विभिन्न देशों की यात्राएं कीं और समानता, एकता, और ईश्वर भक्ति का संदेश दिया। उनकी शिक्षाएं उस समय की सामाजिक व्यवस्थाओं के खिलाफ थीं, जैसे कि जाति प्रथा और धार्मिक भेदभाव।
गुरु नानक का जन्मदिन मनाने की परंपरा उनके समय से ही शुरू हुई थी, और अब यह एक प्रमुख धार्मिक उत्सव बन गया है जिसमें शोभायात्रा, कीर्तन, और सामुदायिक सेवा का आयोजन होता है।
पर्व की तारीख और मुख्य कार्यक्रम
महत्वपूर्ण तारीखें: गुरु नानक जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है, जो हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह (अक्टूबर-नवंबर) की पूर्णिमा के दिन आती है। 2024 में यह पर्व 15 नवंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
यह पर्व आमतौर पर तीन दिनों तक चलता है। इन दिनों में होने वाले मुख्य कार्यक्रम निम्नलिखित हैं:
- पहला दिन: अखंड पाठ
गुरु नानक जयंती के उत्सव की शुरुआत दो दिन पहले होती है। इस दिन से अखंड पाठ की शुरुआत की जाती है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब का लगातार 48 घंटे तक पाठ किया जाता है। यह पाठ बिना रुके और बिना किसी बाधा के संपन्न किया जाता है और इसे करने का मुख्य उद्देश्य गुरु की शिक्षाओं के प्रति भक्ति और समर्पण को दर्शाना है। - दूसरा दिन: नगर कीर्तन
गुरु नानक जयंती के एक दिन पहले नगर कीर्तन निकाला जाता है। यह एक भव्य शोभायात्रा होती है, जिसमें पंज प्यारों के नेतृत्व में सिख समुदाय के लोग शामिल होते हैं। पंज प्यारे वे पांच सिख हैं जिन्हें गुरु गोबिंद सिंह जी ने पहला अमृत पिलाया था। इस शोभायात्रा में कीर्तन (भजन-गान), गटका (सिख मार्शल आर्ट), और गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी को सजाकर ले जाया जाता है। रास्ते में लोगों को लंगर (मुफ्त भोजन) और पानी वितरित किया जाता है। - तीसरा दिन: मुख्य उत्सव (गुरु नानक जयंती)
गुरु नानक जयंती के दिन सुबह से ही आसा की वार (प्रातःकालीन भजन) और सुखमनी साहिब का पाठ किया जाता है। इसके बाद कीर्तन, कथा (धार्मिक प्रवचन), और लंगर का आयोजन किया जाता है। लंगर में सभी को समान रूप से भोजन दिया जाता है, जो गुरु नानक की समानता और सेवा की भावना को दर्शाता है।
पूजन का शुभ मुहूर्त:
सिख परंपराओं में हिंदू रीति-रिवाजों की तरह ‘मुहूर्त’ का विशेष रूप से पालन नहीं किया जाता, लेकिन प्रार्थनाओं के समय का विशेष महत्व होता है। गुरु नानक जयंती पर सुबह से लेकर सूर्यास्त तक प्रार्थनाएं होती हैं। प्रभात फेरी (प्रातःकालीन शोभायात्रा) सुबह-सुबह निकलती है और दिन की पूजा का समापन अक्सर हुकमनामा के साथ होता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब से मार्गदर्शन प्राप्त किया जाता है।
पर्व की तैयारी
घर और व्यक्तिगत तैयारी: गुरु नानक जयंती से कुछ दिन पहले सिख परिवार अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं और उन्हें दीपों और फूलों से सजाते हैं, जो शुद्धता और भक्ति का प्रतीक होता है। लोग गुरुद्वारों में सेवा (सेल्फलेस सेवा) करते हैं, लंगर में मदद करते हैं, और समाज सेवा के कार्यों में भाग लेते हैं।
तैयारियों में प्रयोग होने वाली वस्तुओं का महत्व:
- दीप और सजावट: घर और गुरुद्वारों को दीपों से सजाया जाता है, जो गुरु नानक की शिक्षाओं के आलोक का प्रतीक है।
- नाम सिमरन (ईश्वर के नाम का जप): यह आध्यात्मिक शुद्धि का एक तरीका है, जिससे भक्तों को आंतरिक शांति प्राप्त होती है।
- लंगर की तैयारी: लंगर का आयोजन सेवा और समानता का प्रतीक है। इसमें सभी लोगों को एक साथ बैठकर भोजन कराया जाता है, चाहे उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
पूजा कैसे करें
हालांकि सिख धर्म में पारंपरिक पूजा का कोई विशेष रूप नहीं है, फिर भी गुरु नानक जयंती के दिन कुछ विशेष तरीकों से प्रार्थना और सेवा की जाती है।
गुरु नानक जयंती पर भक्तों के लिए मुख्य कदम:
- प्रातःकालीन भक्ति:
- भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और जपजी साहिब का पाठ करते हैं, जो गुरु नानक द्वारा रचित है। इसके बाद वे अरदास (प्रार्थना) करते हैं और भगवान से सभी के कल्याण की प्रार्थना करते हैं।
- गुरुद्वारा दर्शन:
- भक्त गुरुद्वारों में इकट्ठा होते हैं और आसा दी वार का पाठ सुनते हैं। दिनभर कीर्तन (भजन गान) और कथा (गुरु की शिक्षाओं पर प्रवचन) की जाती है।
- अंतिम अरदास और हुकमनामा सुनना:
- दिनभर की प्रार्थनाओं का समापन अरदास और हुकमनामा के साथ होता है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब से एक मार्गदर्शक वाक्य चुना जाता है।
- लंगर में भाग लेना:
- प्रार्थना के बाद, भक्त लंगर में भाग लेते हैं, जो एक सामुदायिक भोज होता है। लंगर गुरु नानक की सेवा और समानता की भावना को दर्शाता है।
परंपराओं और अनुष्ठानों का महत्व
मुख्य अनुष्ठानों का अर्थ: गुरु नानक जयंती पर किए जाने वाले हर अनुष्ठान का एक गहरा अर्थ होता है। अखंड पाठ गुरु की अनंत शिक्षा का प्रतीक है, जबकि नगर कीर्तन गुरु नानक के संदेश को लोगों तक पहुंचाने का माध्यम है। लंगर सेवा, समानता और विनम्रता के सिद्धांतों को दर्शाता है।
प्रतीक और गुण:
- कीर्तन (भजन गायन): ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति की अभिव्यक्ति है।
- सेवा (निस्वार्थ सेवा): विनम्रता और दूसरों की सहायता करने का प्रतीक है।
- दीपों का जलाना: अज्ञानता के अंधकार को दूर करने और सत्य के प्रकाश का प्रतीक है।
इन अनुष्ठानों का पालन करके भक्त न केवल गुरु नानक का सम्मान करते हैं, बल्कि उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में लागू करने का प्रयास भी करते हैं।
क्या करें और क्या न करें
अनुसरण करने वाले मुख्य नियम:
- नाम सिमरन (ईश्वर के नाम का जप) करें और मन को शुद्ध रखें।
- सेवा में भाग लें और दूसरों की सहायता करें।
- लंगर में सहायता करें, चाहे वह खाना बनाना हो या परोसना।
- अखंड पाठ में भाग लें और कीर्तन सुनें।
- सकारात्मक कार्य करें जैसे दान देना या जरूरतमंदों की मदद करना।
बचने योग्य कार्य:
- अहंकार, क्रोध, या घमंड से बचें। गुरु नानक ने विनम्रता पर जोर दिया था।
- दूसरों की निंदा या बुराई न करें। यह गुरु नानक के समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।
- नशीले पदार्थों से दूर रहें। गुरु नानक ने मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धता पर जोर दिया था।
निष्कर्ष
गुरु नानक जयंती सत्य, प्रेम और एकता का पर्व है, जो सिख धर्म की मूल शिक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है। यह पर्व न केवल गुरु नानक के जन्म का उत्सव है, बल्कि उनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात करने का एक अवसर भी है। इस पर्व को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाने से आत्मिक शांति, समृद्धि और गुरु नानक की आशीर्वाद प्राप्त होते हैं।
गुरु नानक जयंती को मनाना केवल अनुष्ठानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवनभर विनम्रता, सेवा और समर्पण के गुणों को अपनाने का एक अवसर है। गुरु नानक की शिक्षाओं का पालन करना हमें हर दिन एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में प्रेरित करता है।