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श्री बालाजी की आरती: संकटमोचन हनुमानजी की स्तुति

A divine representation of Shri Balaji in a temple archway with vibrant background

श्री बालाजी की आरती भगवान हनुमान जी को समर्पित एक भक्तिपूर्ण गीत है, जिन्हें विशेष रूप से राजस्थान के प्रसिद्ध मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में पूजनीय माना जाता है। हनुमानजी को संकटमोचक, बल और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह आरती गाकर भक्तजन भगवान हनुमान से आशीर्वाद मांगते हैं, कठिनाइयों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं, और अपने जीवन में शांति और समृद्धि की कामना करते हैं। यह आरती मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से गाई जाती है, जो भगवान हनुमान को समर्पित दिन माने जाते हैं।

श्री बालाजी की आरती  

ॐ जय हनुमत वीरास्वामी, जय हनुमत वीरा।
संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

पवन-पुत्र-अंजनी-सुत, महिमा अति भारी।
दुःख दरिद्र मिटाओ, संकट सब हारी॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो।
देवन स्तुति कीन्ही, तब ही छोड़ दियो॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

कपि सुग्रीव राम संग, मैत्री करवाई।
बाली बली मराय, कपीसहिं गद्दी दिलवाई॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

जारि लंक को ले सिय की, सुधि वानर हर्षाये।
कारज कठिन सुधारे, रघुवर मन भाये॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

शक्ति लगी लक्ष्मण के, भारी सोच भयो।
लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

ले पाताल अहिरावण, जबहि पैठि गयो।
ताहि मारि प्रभु लाये, जय जयकार भयो॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

घाटे मेहंदीपुर में, शोभित दर्शन अति भारी।
मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

श्री बालाजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत इन्द्र हर्षित मन, वांछित फल पावे॥
ॐ जय हनुमत वीरा...॥

अर्थ और व्याख्या

पहला पद:

“ॐ जय हनुमत वीरास्वामी, जय हनुमत वीरा। संकट मोचन स्वामी, तुम हो रणधीरा॥”
अर्थ: “जय हो हनुमान वीरस्वामी की, जो संकटों को हरने वाले और युद्ध में धीर वीर हैं।”

यह पद हनुमान जी की वीरता और उनके संकट हरण करने वाले स्वरूप की स्तुति करता है।

दूसरा पद:

“पवन-पुत्र-अंजनी-सुत, महिमा अति भारी। दुःख दरिद्र मिटाओ, संकट सब हारी॥”
अर्थ: “पवन पुत्र और अंजनी के पुत्र की महिमा बहुत बड़ी है। वे सभी दुख, दरिद्रता और संकटों को हरते हैं।”

यहां हनुमान जी के शक्तिशाली स्वरूप का बखान किया गया है, जो हर प्रकार की बाधाओं को दूर करते हैं।

तीसरा पद:

“बाल समय में तुमने, रवि को भक्ष लियो। देवन स्तुति कीन्ही, तब ही छोड़ दियो॥”
अर्थ: “बाल्यकाल में आपने सूर्य को निगल लिया था, जब देवताओं ने आपकी स्तुति की, तब आपने उसे छोड़ा।”

यहां हनुमान जी के बचपन की कथा का वर्णन है, जब उन्होंने सूर्य को खाने का प्रयास किया था।

चौथा पद:

“कपि सुग्रीव राम संग, मैत्री करवाई। बाली बली मराय, कपीसहिं गद्दी दिलवाई॥”
अर्थ: “आपने सुग्रीव और राम के बीच मित्रता करवाई, बाली को मारा और सुग्रीव को राज्य दिलवाया।”

यह पद रामायण के उस प्रसंग का वर्णन करता है, जहां हनुमान जी ने सुग्रीव और राम की मित्रता करवाई और बाली को मारकर सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बनाया।

पांचवां पद:

“जारि लंक को ले सिय की, सुधि वानर हर्षाये। कारज कठिन सुधारे, रघुवर मन भाये॥”
अर्थ: “आपने लंका को जला दिया और सीता का समाचार लेकर वानरों को प्रसन्न किया। आपने कठिन कार्य पूरे किए और रघुवर (राम) के मन को भाया।”

यह हनुमान जी द्वारा लंका जलाने और सीता का समाचार लेकर लौटने की घटना को दर्शाता है।

छठा पद:

“शक्ति लगी लक्ष्मण के, भारी सोच भयो। लाय संजीवन बूटी, दुःख सब दूर कियो॥”
अर्थ: “जब लक्ष्मण को शक्ति लगी, तो भारी चिंता हो गई। आपने संजीवनी बूटी लाकर सारे दुख दूर कर दिए।”

यह पद लक्ष्मण के मूर्छित होने और हनुमान जी द्वारा संजीवनी बूटी लाने की घटना का वर्णन करता है।

सातवां पद:

“ले पाताल अहिरावण, जबहि पैठि गयो। ताहि मारि प्रभु लाये, जय जयकार भयो॥”
अर्थ: “जब अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को पाताल ले गया, तब आप पाताल में प्रवेश कर उसे मारकर उन्हें वापस लाए और चारों ओर जयकार होने लगी।”

यह हनुमान जी की पाताल विजय की कथा का वर्णन है।

आठवां पद:

“घाटे मेहंदीपुर में, शोभित दर्शन अति भारी। मंगल और शनिश्चर, मेला है जारी॥”
अर्थ: “मेहंदीपुर के घाट पर बालाजी का दर्शन अत्यंत शोभायमान है, जहां मंगलवार और शनिवार को मेला लगता है।”

यह पद राजस्थान के मेहंदीपुर बालाजी मंदिर का उल्लेख करता है, जो हनुमान जी के विशेष पूजन स्थल के रूप में प्रसिद्ध है।

नवां पद:

“श्री बालाजी की आरती, जो कोई नर गावे। कहत इन्द्र हर्षित मन, वांछित फल पावे॥”
अर्थ: “जो कोई श्री बालाजी की आरती गाता है, उसे वह सब प्राप्त होता है जिसकी उसे कामना होती है।”

यह बताता है कि जो भी भक्त श्रद्धापूर्वक हनुमान जी की आरती गाता है, उसे मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

“ॐ जय हनुमत वीरास्वामी” आरती हनुमान जी के पराक्रम और उनकी भक्तों के प्रति करुणा का वर्णन करती है। यह आरती विशेष रूप से मेहंदीपुर बालाजी के मंदिरों में गायी जाती है, जो अपनी चमत्कारी शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। मंगलवार और शनिवार को इस आरती का विशेष महत्व है, क्योंकि ये दिन हनुमान जी की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं। यह आरती संकटों को हरने और मनोकामनाओं को पूर्ण करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

निष्कर्ष

श्री हनुमान जी की यह आरती भगवान हनुमान के अद्वितीय पराक्रम और भक्ति को समर्पित है। इसे गाकर भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते हैं, जिससे उनके जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और उन्हें सफलता, सुख, और शांति प्राप्त होती है। हनुमान जी की इस आरती का गहन अर्थ हमें उनके प्रति गहरी भक्ति और समर्पण करने की प्रेरणा देता है।

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