Site icon Vibrant Bharat

ॐ जय शिव ओंकारा आरती

Digital artwork of Lord Shiva meditating by a lake in the Himalayas.

“ॐ जय शिव ओंकारा” आरती भगवान शिव को समर्पित एक महत्वपूर्ण भजन है। भगवान शिव, जो त्रिमूर्ति में ब्रह्मा और विष्णु के साथ शामिल हैं, को सृष्टि के संहारक और परिवर्तक के रूप में पूजा जाता है। यह आरती शिव मंदिरों में और विशेष अवसरों पर जैसे कि महाशिवरात्रि के दौरान घरों में गाई जाती है।

ॐ जय शिव ओंकारा” – भगवान शिव की महिमा और आरती 

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

एकानन चतुरानन
पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

अक्षमाला वनमाला,
मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै,
भाले शशिधारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

कर के मध्य कमंडल
चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर में शोभित
ये तीनों एका॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

त्रिगुणस्वामी जी की आरति
जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानंद स्वामी
सुख संपति पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

जटा में गंग बहत है,
गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा...॥

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा॥

अर्थ और व्याख्या

कुल मिलाकर संदेश

“ॐ जय शिव ओंकारा” आरती भगवान शिव की महिमा का वर्णन करती है, जो सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी और करुणामय देवता हैं। यह आरती शिव जी के गुणों, उनके दिव्य स्वरूप और उनके द्वारा भक्तों को दी जाने वाली आशीर्वादों का वर्णन करती है। इस आरती का गायन शिव जी से जुड़ने का एक साधन है, जो शांति, सुरक्षा और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग है। त्रिमूर्ति की एकता और ओंकार के प्रतीक के माध्यम से यह आरती भगवान शिव की महत्ता को और भी अधिक उजागर करती है।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

यह आरती शिव पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, विशेष रूप से महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों और धार्मिक अनुष्ठानों के दौरान। इसे मंदिरों और घरों में गाया जाता है, जिससे शिव जी की उपस्थिति और आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। इस आरती को गाने से भक्त भगवान शिव के मार्गदर्शन और संरक्षण की प्रार्थना करते हैं।

निष्कर्ष

“ॐ जय शिव ओंकारा” आरती भगवान शिव के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करती है। इस आरती के अर्थ और प्रतीकात्मकता को समझना एक गहरे आध्यात्मिक अनुभव की ओर ले जाता है। इससे भक्तों को शिव जी की शिक्षाओं और गुणों को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने की प्रेरणा मिलती है। इस आरती के माध्यम से, भक्त भगवान शिव की कृपा, सुख, संपत्ति और आध्यात्मिक समृद्धि की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।

Exit mobile version