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श्री बांके बिहारी की आरती

Detailed statue of Lord Krishna playing the flute against a floral backdrop.

श्री बांके बिहारी की आरती भगवान श्रीकृष्ण के एक प्रिय स्वरूप, श्री बांके बिहारी जी को समर्पित है। बांके बिहारी जी का स्वरूप वृंदावन में स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में पूजित है। इस आरती में भक्त अपने आराध्य श्रीकृष्ण की आरती गाकर उन्हें रिझाने का प्रयास करते हैं। श्री बांके बिहारी जी को बाल कृष्ण, श्याम सुंदर और गिरिधर के रूप में संबोधित करते हुए, उनकी दिव्य सुंदरता, लीला और उनके चरणों की महिमा का गुणगान किया गया है।

आश्चर्यजनक श्री बांके बिहारी की आरती: श्रीकृष्ण की भक्ति और लीला

श्री  बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं,
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं |

आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं,
श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं |
बाल कृष्ण तेरी आरती गाऊं ||

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे |
प्यारी बंसी मेरो मन मोहे |
देख छवि बलिहारी मैं जाऊं |
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||

चरणों से निकली गंगा प्यारी,
जिसने सारी दुनिया तारी |
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं |
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||

दास अनाथ के नाथ आप हो |
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो |
हरी चरणों में शीश झुकाऊं |
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||

श्री हरीदास के प्यारे तुम हो |
मेरे मोहन जीवन धन हो |
देख युगल छवि बलि बलि जाऊं |
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||

आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ |
हे गिरीधर तेरी आरती गाऊँ ||

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||

अर्थ और व्याख्या

श्लोक 1:

श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं |
अनुवाद: मैं आपकी आरती गाता हूँ, हे बांके बिहारी, हे गिरिधर, मैं आपकी आरती गाता हूँ।
व्याख्या: भक्त श्रीकृष्ण को बांके बिहारी और गिरिधर के रूप में संबोधित करते हुए उनकी आरती गाने का संकल्प लेता है। गिरिधर वह स्वरूप है जिसमें भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाया था, और इस रूप में उनका महिमा गायन किया जाता है।

श्लोक 2:

आरती गाऊं प्यारे आपको रिझाऊं, श्याम सुन्दर तेरी आरती गाऊं | बाल कृष्ण तेरी आरती गाऊं ||
अनुवाद: मैं आपकी आरती गाता हूँ, हे प्यारे, आपको प्रसन्न करने के लिए; हे श्याम सुंदर, मैं आपकी आरती गाता हूँ; हे बाल कृष्ण, मैं आपकी आरती गाता हूँ।
व्याख्या: इस श्लोक में भगवान के अलग-अलग रूपों का वर्णन किया गया है – श्याम सुंदर, जो उनकी काली सुन्दरता का प्रतीक है, और बाल कृष्ण, जो उनके बाल स्वरूप का प्रतीक है। भक्त इन रूपों की आरती गाकर अपनी भक्ति प्रकट करता है।

श्लोक 3:

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे | प्यारी बंसी मेरो मन मोहे | देख छवि बलिहारी मैं जाऊं | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||
अनुवाद: प्रभु के सिर पर मोर मुकुट सुशोभित है, प्यारी बंसी मेरे मन को मोह लेती है। आपकी छवि देखकर मैं बलिहारी जाता हूँ। श्री बांके बिहारी, मैं आपकी आरती गाता हूँ।
व्याख्या: इस श्लोक में भगवान कृष्ण की दिव्य शोभा का वर्णन किया गया है, जो मोर मुकुट और उनकी बांसुरी से आकर्षित है। भक्त इस रूप पर बलिहारी जाता है और भगवान की आरती गाता है।

श्लोक 4:

चरणों से निकली गंगा प्यारी, जिसने सारी दुनिया तारी | मैं उन चरणों के दर्शन पाऊं | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||
अनुवाद: आपके चरणों से गंगा जी प्रकट हुईं, जिन्होंने पूरी दुनिया को तार दिया। मैं उन चरणों के दर्शन करना चाहता हूँ। श्री बांके बिहारी, मैं आपकी आरती गाता हूँ।
व्याख्या: इस श्लोक में भगवान कृष्ण के चरणों की महिमा का गुणगान किया गया है, जिनसे पवित्र गंगा नदी प्रकट हुई। भक्त उनके चरणों के दर्शन की इच्छा रखता है, जो उसे मुक्ति प्रदान करेंगे।

श्लोक 5:

दास अनाथ के नाथ आप हो | दुःख सुख जीवन प्यारे साथ आप हो | हरी चरणों में शीश झुकाऊं | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||
अनुवाद: आप दास और अनाथों के नाथ हैं। जीवन के सुख-दुःख में आप हमारे साथ हैं। हे हरी, आपके चरणों में सिर झुकाता हूँ। श्री बांके बिहारी, मैं आपकी आरती गाता हूँ।
व्याख्या: भगवान कृष्ण को दासों और अनाथों के स्वामी के रूप में स्वीकार करते हुए, भक्त उनके चरणों में सिर झुकाता है और उनके जीवन में उपस्थित होने के लिए कृतज्ञता व्यक्त करता है।

श्लोक 6:

श्री हरीदास के प्यारे तुम हो | मेरे मोहन जीवन धन हो | देख युगल छवि बलि बलि जाऊं | श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं ||
अनुवाद: आप श्री हरीदास के प्यारे हो, और मेरे जीवन के धन हो, हे मोहन। आपकी और राधाजी की युगल छवि को देखकर मैं बलि-बलि जाता हूँ। श्री बांके बिहारी, मैं आपकी आरती गाता हूँ।
व्याख्या: इस श्लोक में भगवान कृष्ण को उनके प्रिय भक्त श्री हरीदास के रूप में याद किया गया है। भक्त भगवान और राधाजी की युगल छवि देखकर अति प्रसन्न होता है और भगवान की आरती गाता है।

 सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

श्री बांके बिहारी की आरती का विशेष महत्व वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होता है। यहां की आरती में भक्तगण बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ भाग लेते हैं। यह आरती श्रीकृष्ण की महिमा और उनके विभिन्न रूपों का गुणगान करती है। इसे वृंदावन के अलावा अन्य कृष्ण मंदिरों में भी बड़े उल्लास के साथ गाया जाता है। जन्माष्टमी और अन्य कृष्ण उत्सवों के समय इस आरती का महत्व और भी बढ़ जाता है।

 निष्कर्ष

श्री बांके बिहारी की आरती एक ऐसा भक्ति गीत है जो भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य रूपों की स्तुति करता है। यह आरती भक्तों को भगवान के साथ एक गहरा आध्यात्मिक संबंध बनाने का अवसर प्रदान करती है। आरती का गायन भक्तों के मन में प्रेम, भक्ति और आनंद की भावना को उत्पन्न करता है, और उन्हें भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने में सहायता करता है।

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