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लक्ष्मी चालीसा 40 छंदों का एक दिव्य और पवित्र भजन है, जो धन, समृद्धि, और सौभाग्य की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है। माता लक्ष्मी को हिंदू धर्म में धन और वैभव की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। वे केवल भौतिक संपत्ति की प्रदाता ही नहीं, बल्कि मानसिक शांति, आध्यात्मिक ज्ञान, और आंतरिक संतोष की भी अधिष्ठात्री हैं।
माता लक्ष्मी की पूजा हर भक्त के जीवन को समृद्ध और संतुलित बनाती है। उनकी कृपा से जीवन में सुख, शांति, और प्रगति आती है। लक्ष्मी चालीसा माता के दिव्य गुणों की महिमा का वर्णन करती है, उनकी कृपा की कहानियों को उजागर करती है और उन्हें अपनी भक्ति के माध्यम से प्रसन्न करने का माध्यम है। इसे विशेष रूप से दिवाली, शुक्रवार, और किसी भी शुभ अवसर पर पढ़ा जाता है।
नीचे लक्ष्मी चालीसा के संपूर्ण शब्द दिए गए हैं, साथ ही इसके महत्व, विषय, प्रतीक, और नियमित पाठ करने के लाभों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
लक्ष्मी चालीसा के पूर्ण शब्द
॥ दोहा ॥
मातु लक्ष्मी करि कृपा,
करो हृदय में वास।
मनोकामना सिद्ध करे,
पुरवहु मेरी आस॥
॥ सोरठा ॥
यही मोर अरदास,
हाथ जोड़ विनती करूँ।
सब विधि करौ सुवास,
जय जननि जगदम्बिका॥
॥ चौपाई ॥
सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही।
ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोही॥
तुम समान नहीं कोई उपकारी।
सब विधि पुरवहु आस हमारी॥
जय जय जगत जननि जगदम्बा।
सबकी तुम्ही हो अवलम्बा॥
तुम ही हो सब घट घट की वासी।
विनती यही हमारी खासी॥
जग जननि जय सिन्धु कुमारी।
दीनन की तुम हो हितकारी॥
विनवौं नित्य तुमहिं महारानी।
कृपा करो जग जननि भवानी॥
केहि विधि स्तुति करौं तिहारी।
सुधि लीजै अपराध बिसारी॥
कृपा दृष्टि चितववो मम ओरी।
जग जननि विनती सुन मोरी॥
ज्ञान बुद्धि सब सुख की दाता।
संकट हरो हमारी माता॥
क्षीर सिन्धु जब विष्णु मथायो।
चौदह रत्न सिन्धु में पायो॥
चौदह रत्न में तुम सुखरासी।
सेवा कियो प्रभुहिं बन दासी॥
जब जब जन्म जहाँ प्रभु लीन्हा।
रूप बदल तहँ सेवा कीन्हा॥
स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा।
लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥
तब तुम प्रगट जनकपुर माही।
सेवा कियो हृदय पुलकाही॥
अपनायो तोहि अन्तर्यामी।
विश्व विदित त्रिभुवन के स्वामी॥
तुम सम प्रबल शक्ति नहिं आनी।
कहँ लौ महिमा कहाँ बखानी॥
मन क्रम वचन करै सेवकाई।
मन इच्छित वांछित फल पाई॥
तजि छल कपट और चतुराई।
पूजहिं विविध भांति मन लाई॥
और हाल मैं कहाँ बुझाई।
जो यह पाठ करै मन लाई॥
ताको कोई कष्ट न होई।
मन इच्छित फल पावै सोई॥
त्राहि त्राहि जय दुःख निवारिणि।
त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥
जो यह चालीसा पढ़ें पढ़ावै।
ध्यान लगाकर सुनै सुनावै॥
ताको कोई न रोग सतावै।
पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै॥
पुत्रहीन अरू सम्पत्ति हीना।
अन्ध बधिर कोढ़ी अति दीना॥
विप्र बोलाय के पाठ करावै।
शंका दिल में कभी न लावै॥
पाठ करावै दिन चालीसा।
ता पर कृपा करें गौरीसा॥
सुख संपत्ति बहुत सो पावै।
कमी नहीं काहु की आवै॥
बारह मास करै जो पूजा।
तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥
प्रतिदिन पाठ करै मन माही।
उन सम कोई जग में कहुं नाहीं॥
बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई।
लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥
करि विश्वास करै व्रत नेमा।
होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥
जय जय जय लक्ष्मी महरानी।
सब में व्यापित हो गुणखानी॥
तुम्हरो तेज प्रबल जग माही।
तुम सम कोउ दयालु कहूं नाहीं॥
मोहिं अनाथ की सुध अब लीजै।
संकट काटि भक्ति मोहि दीजै॥
भूल चूक करि क्षमा हमारी।
दर्शन दीजै दशा निहारी॥
बिन दर्शन व्याकुल अधिकारी।
तुमहि अक्षत दुख सहते भारी॥
नहिं मोहि ज्ञान बुद्धि है मन में।
सब जानत हों अपने मन में॥
रूप चतुर्भुज करके धारण।
कष्ट मोर अब करहु निवारण॥
केहि प्रकार मैं करौं बड़ाई।
ज्ञान बुद्धि मोहि नहिं अधिकाई॥
रामदास अब कहै पुकारी।
करो दूर तुम विपत्ति हमारी॥
॥ दोहा ॥
त्राहि त्राहि दुख हारिणी,
हरो बेगि सब त्रास।
जयति जयति जय लक्ष्मी,
करो शत्रु का नाश॥
लक्ष्मी चालीसा का महत्व
लक्ष्मी चालीसा एक आध्यात्मिक पाठ है जो जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति लाने का अद्वितीय माध्यम है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:
- धन-समृद्धि की प्राप्ति: माता लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं।
- सुख-शांति: यह पाठ मानसिक शांति और घरेलू कल्याण को बढ़ावा देता है।
- कार्य में सफलता: नए कार्यों की शुरुआत के पहले इस चालीसा का पाठ करना सफलता सुनिश्चित करता है।
- नकारात्मक ऊर्जा से सुरक्षा: यह पाठ बुरी शक्तियों और नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: माता लक्ष्मी के प्रति भक्ति और विश्वास को गहराई प्रदान करता है।
निष्कर्ष
लक्ष्मी चालीसा केवल एक भजन नहीं, बल्कि माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने और जीवन की कठिनाइयों को समाप्त करने का आध्यात्मिक माध्यम है। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, सफलता, और धन-धान्य का वास होता है।
भक्तों को इसे अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए और माता लक्ष्मी की कृपा से अपने जीवन को समृद्ध, संतुलित, और शांतिमय बनाना चाहिए।
जय माता लक्ष्मी!