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बालाजी चालीसा भगवान हनुमान जी के बाल रूप को समर्पित एक पवित्र स्तोत्र है। यह चालीसा विशेष रूप से मैंहदीपुर बालाजी के भक्तों द्वारा गाई जाती है, जो संकटों को हरने वाले देवता के रूप में पूजे जाते हैं। भगवान हनुमान को यहां बाल रूप में प्रकट माना जाता है, जो अपने भक्तों के दुखों, भूत-प्रेत बाधाओं और संकटों का नाश करते हैं।
बालाजी चालीसा का पाठ भक्तों को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अपने जीवन में किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या बाधाओं से जूझ रहे हैं। इसे शनिवार, मंगलवार, या मैंहदीपुर बालाजी के मंदिर में पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
चालीसा
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरण चितलाय, के धरें ध्यान हनुमान।
बालाजी चालीसा लिखे, दास स्नेही कल्याण॥
विश्व विदित वरदानी, संकट हरण हनुमान।
मैंहदीपुर में प्रगट भये, बालाजी भगवान॥
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान बालाजी देवा।
प्रगट भये यहां तीनों देवा॥
प्रेतराज भैरव बलवाना।
कोतवाल कप्तानी हनुमाना॥
मैंहदीपुर अवतार लिया है।
भक्तों का उद्धार किया है॥
बालरूप प्रगटे हैं यहां पर।
संकट वाले आते जहां पर॥
डाकिन शाकिन अरु जिन्दनी।
मशान चुड़ैल भूत भूतनी॥
जाके भय ते सब भाग जाते।
स्याने भोपे यहां घबराते॥
चौकी बंधन सब कट जाते।
दूत मिले आनंद मनाते॥
सच्चा है दरबार तिहारा।
शरण पड़े सुख पावे भारा॥
रूप तेज बल अतुलित धामा।
सन्मुख जिनके सिया रामा॥
कनक मुकुट मणि तेज प्रकाशा।
सबकी होवत पूर्ण आशा॥
महंत गणेशपुरी गुणीले।
भये सुसेवक राम रंगीले॥
अद्भुत कला दिखाई कैसी।
कलियुग ज्योति जलाई जैसी॥
ऊंची ध्वजा पताका नभ में।
स्वर्ण कलश हैं उन्नत जग में॥
धर्म सत्य का डंका बाजे।
सियाराम जय शंकर राजे॥
आन फिराया मुगदर घोटा।
भूत जिन्द पर पड़ते सोटा॥
राम लक्ष्मण सिया हृदय कल्याणा।
बाल रूप प्रगटे हनुमाना॥
जय हनुमंत हठीले देवा।
पुरी परिवार करत हैं सेवा॥
लड्डू चूरमा मिश्री मेवा।
अर्जी दरखास्त लगाऊं देवा॥
दया करे सब विधि बालाजी।
संकट हरण प्रगटे बालाजी॥
जय बाबा की जन जन उचारे।
कोटिक जन तेरे आये द्वारे॥
बाल समय रवि भक्षहि लीन्हा।
तिमिर मय जग कीन्हो तीन्हा॥
देवन विनती की अति भारी।
छांड़ दियो रवि कष्ट निहारी॥
लांघि उदधि सिया सुधि लाये।
लक्ष्मण हित संजीवन लाये॥
रामानुज प्राण दिवाकर।
शंकर सुवन मां अंजनी चाकर॥
केशरी नंदन दुख भव भंजन।
रामानंद सदा सुख सन्दन॥
सिया राम के प्राण पियारे।
जब बाबा की भक्त उचारे॥
संकट दुख भंजन भगवाना।
दया करहु हे कृपा निधाना॥
सुमर बाल रूप कल्याणा।
करे मनोरथ पूर्ण कामा॥
अष्ट सिद्धि नव निधि दातारी।
भक्त जन आवे बहु भारी॥
मेवा अरु मिष्ठान प्रवीना।
भैंट चढ़ावें धनि अरु दीना॥
नृत्य करे नित न्यारे न्यारे।
रिद्धि सिद्धियां जाके द्वारे॥
अर्जी का आदेश मिलते ही।
भैरव भूत पकड़ते तबही॥
कोतवाल कप्तान कृपाणी।
प्रेतराज संकट कल्याणी॥
चौकी बंधन कटते भाई।
जो जन करते हैं सेवकाई॥
रामदास बाल भगवन्ता।
मैंहदीपुर प्रगटे हनुमन्ता॥
जो जन बालाजी में आते।
जन्म जन्म के पाप नशाते॥
जल पावन लेकर घर जाते।
निर्मल हो आनंद मनाते॥
क्रूर कठिन संकट भग जावे।
सत्य धर्म पथ राह दिखावे॥
जो सत पाठ करे चालीसा।
तापर प्रसन्न होय बागीसा॥
कल्याण स्नेही, स्नेह से गावे।
सुख समृद्धि रिद्धि सिद्धि पावे॥
॥ दोहा ॥
मन्द बुद्धि मम जानके, क्षमा करो गुणखान।
संकट मोचन क्षमहु मम, दास स्नेही कल्याण॥
धार्मिक महत्व:
बालाजी चालीसा का पाठ भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्रदान करता है:
- संकटों का निवारण: भूत-प्रेत और अन्य नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है।
- आध्यात्मिक ऊर्जा: मानसिक शांति और भक्ति में वृद्धि होती है।
- धार्मिक फल: भगवान हनुमान की कृपा से जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं।
विशेष अवसर और पाठ विधि:
शुभ दिन:
- शनिवार और मंगलवार को बालाजी चालीसा का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- मैंहदीपुर बालाजी के मंदिर में इसे पढ़ने का विशेष महत्व है।
तैयारी:
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान हनुमान की मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
- प्रसाद के रूप में लड्डू या मिश्री चढ़ाएं।
- शांत मन से चालीसा का पाठ करें।
निष्कर्ष:
बालाजी चालीसा भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक साधन है, जो संकटों को दूर करता है और शांति प्रदान करता है। भगवान हनुमान के बाल रूप की भक्ति हमें सिखाती है कि भक्ति और समर्पण से सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता है। इसका नियमित पाठ जीवन में सकारात्मकता और उन्नति लाता है।