माँ स्कन्दमाता पूजा 2024: पारिवारिक सुख और शांति के लिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Illustration of Goddess Skandamata, a form of Goddess Durga, seated on a lion with her child, Lord Skanda, in her lap. She is adorned in golden attire, holding a trident and blessing with her hand, radiating motherly love and protection with a golden aura in the background.

नवरात्रि के पाँचवें दिन माँ दुर्गा के पांचवे स्वरूप माँ स्कन्दमाता की पूजा की जाती है। “स्कन्द” का अर्थ है भगवान कार्तिकेय (स्कन्द) और “माता” का अर्थ है माँ। माँ स्कन्दमाता को भगवान कार्तिकेय की माता के रूप में पूजा जाता है। वे अपनी गोद में भगवान स्कन्द को धारण करती हैं और उनका स्वरूप वात्सल्य और मातृत्व का प्रतीक है। माँ स्कन्दमाता का यह रूप शांति, करुणा, और सुख-समृद्धि प्रदान करता है।

माँ स्कन्दमाता चार भुजाओं वाली देवी हैं, जो एक हाथ में कमल का फूल, दूसरे हाथ में भगवान स्कन्द को धारण करती हैं, और अन्य दो हाथों से भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। वे सिंह पर सवार रहती हैं और सफेद वस्त्र धारण करती हैं, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक है। माँ स्कन्दमाता विशुद्ध चक्र की देवी हैं, जो शुद्धता, संचार और बुद्धि का केंद्र है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

माँ स्कन्दमाता की पूजा से भक्तों को सुख-शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। उनका मातृत्व और वात्सल्य भाव भक्तों को शक्ति और सुरक्षा प्रदान करता है। माँ स्कन्दमाता का स्वरूप यह दर्शाता है कि उनकी पूजा से जीवन में परिवारिक सुख और शांति आती है, साथ ही संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।

विशुद्ध चक्र, जो गले के क्षेत्र में स्थित है, माँ स्कन्दमाता द्वारा शासित होता है। यह चक्र सत्य, शुद्धता और संचार का केंद्र है। माँ स्कन्दमाता की पूजा से इस चक्र का जागरण होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शुद्धता, सच्चाई, और प्रभावी संचार का विकास होता है।

पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त:

  • तिथि: 7 अक्टूबर 2024
  • शुभ मुहूर्त: माँ स्कन्दमाता की पूजा का सबसे शुभ समय सुबह 9:15 AM से 11:45 AM तक है। इस समय पूजा करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

माँ स्कन्दमाता पूजा के लिए तैयारी:

  • घर और पूजा स्थल की सफाई: घर और पूजा स्थल को अच्छे से साफ करें। सफेद या पीले फूलों से माँ का पूजन स्थल सजाएं, जो पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं।
  • सामग्री:
    • सफेद और पीले फूल (शुद्धता और शांति के प्रतीक)
    • धूप, दीपक और अगरबत्ती
    • नारियल, मिठाई और फल (प्रसाद के लिए)
    • सफेद वस्त्र

माँ स्कन्दमाता पूजा की विधि:

  1. पूजा स्थल की स्थापना:
    • माँ स्कन्दमाता की प्रतिमा या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें। उनके समक्ष दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
    • पूजा स्थल को सफेद और पीले फूलों से सजाएं, जो माँ की पवित्रता और शांति का प्रतीक हैं।
  2. पूजा की प्रक्रिया:
    • माँ स्कन्दमाता का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप करें:
      मंत्र:
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
  1. माँ को सफेद फूल, नारियल और मिठाई अर्पित करें। यह प्रसाद माँ को प्रिय है और इससे भक्तों को शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
  2. आरती:
    • मंत्र जप के बाद माँ स्कन्दमाता की आरती करें। आरती करते समय माँ से परिवारिक सुख, शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।
  3. प्रसाद वितरण:
    • पूजा समाप्त होने के बाद, नारियल और मिठाई का प्रसाद अर्पित करें और इसे भक्तों में बांटें। माँ से जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि की कामना करें।

माँ स्कन्दमाता पूजा का महत्व:

माँ स्कन्दमाता की पूजा करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और पारिवारिक सुख प्राप्त होता है। वे अपनी गोद में भगवान स्कन्द को धारण करती हैं, जो शक्ति और साहस का प्रतीक हैं। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में संतान सुख और समृद्धि का आगमन होता है।

माँ स्कन्दमाता की पूजा से विशुद्ध चक्र जागृत होता है, जिससे संचार, सत्य, और शुद्धता का विकास होता है। माँ के आशीर्वाद से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। उनकी कृपा से जीवन में हर प्रकार की समस्याओं का समाधान होता है और पारिवारिक जीवन में आनंद का संचार होता है।

पूजा में क्या करें और क्या न करें:

  • क्या करें:
    • सफेद या पीले वस्त्र पहनें, जो शांति और पवित्रता का प्रतीक हैं।
    • माँ स्कन्दमाता के मंत्र का ध्यान और जप करें, जिससे विशुद्ध चक्र का जागरण हो सके।
    • नारियल और मिठाई का प्रसाद अर्पित करें, जो माँ को अत्यंत प्रिय है।
  • क्या न करें:
    • पूजा के दौरान नकारात्मक विचारों और क्रोध से दूर रहें, क्योंकि यह मन की शांति को बाधित कर सकता है।
    • मांसाहार या तामसिक भोजन से दूर रहें, जो मानसिक शांति को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष:

माँ स्कन्दमाता की पूजा नवरात्रि के पांचवें दिन विशेष रूप से की जाती है। उनकी पूजा से भक्तों को पारिवारिक सुख, समृद्धि, और शांति का आशीर्वाद प्राप्त होता है। माँ स्कन्दमाता की कृपा से विशुद्ध चक्र जागृत होता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शुद्धता, सच्चाई और प्रभावी संचार का विकास होता है।

माँ स्कन्दमाता की पूजा से आप अपने जीवन में शांति, समृद्धि और पारिवारिक सुख का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कृपा से आप अपने जीवन में हर प्रकार की बाधाओं का नाश कर सकते हैं और शांति और सुख का अनुभव कर सकते हैं।

By Ardhu

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