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माँ चंद्रघंटा पूजा 2024: शक्ति, साहस और समृद्धि के लिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Illustration of Goddess Chandraghanta, a form of Goddess Durga, seated in a meditative posture, wearing a half-moon shaped crown. She is holding a lotus in one hand, with a calm and divine expression. The background features soft clouds and a crescent moon symbolizing her cosmic connection.

नवरात्रि के तीसरे दिन माँ दुर्गा के तृतीय स्वरूप माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। “चंद्रघंटा” नाम उनके मस्तक पर स्थित अर्धचंद्र से लिया गया है, जो घंटे के आकार का प्रतीक है। यह स्वरूप देवी की शक्ति और वीरता का प्रतीक है, जो शत्रुओं का नाश कर अपने भक्तों की रक्षा करती हैं। माँ चंद्रघंटा का स्वरूप सौम्य होते हुए भी शत्रुओं के लिए विकराल है।

माँ चंद्रघंटा सिंह पर सवार रहती हैं और उनके दस हाथों में अस्त्र-शस्त्र होते हैं। उनका यह रूप शक्ति, साहस और साहसिकता का प्रतीक है। माँ चंद्रघंटा मणिपुर चक्र की देवी हैं, जो शक्ति और आत्मविश्वास का केंद्र है। उनकी पूजा से मनुष्य के अंदर साहस, दृढ़ता और आत्मबल का विकास होता है।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व:

माँ चंद्रघंटा की पूजा से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। वे अपने भक्तों को हर प्रकार की बाधाओं और विपत्तियों से सुरक्षित रखती हैं। उनका अर्धचंद्र यह दर्शाता है कि वे अपने भक्तों के जीवन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं।

मणिपुर चक्र, जो कि नाभि के पास स्थित है, माँ चंद्रघंटा द्वारा शासित होता है। यह चक्र ऊर्जा, साहस और आत्मविश्वास का केंद्र है। माँ चंद्रघंटा की पूजा से इस चक्र का जागरण होता है, जिससे व्यक्ति को जीवन में अदम्य साहस और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है।

पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त:

माँ चंद्रघंटा पूजा के लिए तैयारी:

माँ चंद्रघंटा पूजा की विधि:

  1. पूजा स्थल की स्थापना:
    • माँ चंद्रघंटा की प्रतिमा या चित्र को एक साफ स्थान पर स्थापित करें। उनके समक्ष दीपक जलाएं और धूप अर्पित करें।
    • पूजा के स्थान को लाल या पीले फूलों से सजाएं, जो माँ की शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक हैं।
  2. पूजा की प्रक्रिया:
    • माँ चंद्रघंटा का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मंत्र का 108 बार जप करें:
      मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता। प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
  1. माँ को दूध, शहद और लाल फूलों से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें प्रसाद में गाय का दूध और शहद अर्पित करें।
  2. आरती और घंटा बजाना:
    • मंत्र जप के बाद माँ चंद्रघंटा की आरती करें। आरती के दौरान घंटा बजाएं, क्योंकि यह नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और माँ की कृपा प्राप्त करने का प्रतीक है।
  3. प्रसाद वितरण:
    • पूजा समाप्त होने के बाद, प्रसाद के रूप में शहद और दूध का भोग लगाएं और इसे परिवार के सदस्यों में बांटें। माँ चंद्रघंटा से जीवन में साहस, शक्ति, और समृद्धि की कामना करें।

माँ चंद्रघंटा पूजा का महत्व:

माँ चंद्रघंटा की पूजा करने से जीवन में साहस, शांति और समृद्धि का संचार होता है। उनका आशीर्वाद भक्तों को हर प्रकार के भय, तनाव और बाधाओं से मुक्त करता है। माँ चंद्रघंटा के आशीर्वाद से मणिपुर चक्र जागृत होता है, जिससे व्यक्ति में आत्मबल और साहस का विकास होता है।

घंटे की ध्वनि से नकारात्मक शक्तियाँ दूर होती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इस दिन उपवास करना और माँ की पूजा करने से भक्तों को जीवन में सफलता और आंतरिक शांति प्राप्त होती है।

पूजा में क्या करें और क्या न करें:

निष्कर्ष:

माँ चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। उनकी पूजा से भक्तों में साहस, आत्मविश्वास और शक्ति का विकास होता है। माँ चंद्रघंटा की कृपा से सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

माँ चंद्रघंटा की पूजा से आप अपने जीवन में निडरता, शांति और सफलता प्राप्त कर सकते हैं और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त कर सकते हैं।

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