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श्री पवनसुत हनुमान जी की आरती भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करती है। हनुमान जी को पवनसुत (पवन देव के पुत्र) के रूप में जाना जाता है, और वे शक्ति, भक्ति, और साहस का प्रतीक हैं। वे भगवान राम के अनन्य भक्त और सभी संकटों को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजे जाते हैं। यह आरती मंगलवार और शनिवार को विशेष रूप से गाई जाती है, ताकि भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त कर सकें और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पा सकें।
श्री पवनसुत हनुमान आरती
जयति मंगलाकर, संसार,
भारपहार, वनराकार विग्रह पुरारी।
राम-रोशनाल, ज्वालामाल
मिषध्यान्तचर-सलभ-संहारकारी॥
जयति मंगलाकर, संसार...॥
जयति मरुदंजनमोद-मंदिर,
नटगृहवासुग्रीव-दुख-एकबन्धो।
यतुधनोद्धत-क्रुद्ध-कालाग्निहार,
सिद्ध-सुर-सज्जनानंदसिन्धो॥
जयति मंगलाकर, संसार...॥
जयति रुद्रग्रणी, विश्ववन्द्यग्रणी,
विश्वविख्यात-भट-चक्रवर्ती।
समघटग्रणी, कामजेतग्रणी,
रामहित, रामभक्तानुवर्ती॥
जयति मंगलाकर, संसार...॥
जयति संग्रामजय, राम-संदेशहर,
कौशल- कुशल-कल्याणभाषी।
राम-विरहर्क-संतप्त-भरतादि
नर-नारी-शीतलकरण-कल्पशशि॥
जयति मंगलाकर, संसार...॥
जयति सिंहासनिन सीतारामन,
निरखि निर्भार हर्ष नृत्यकारी।
राम-संभ्राज शोभा-सहित सर्वदा
तुलसी-मानस-रामपुर-विहारी॥
जयति मंगलाकर, संसार...॥
अर्थ और व्याख्या
पहला पद:
“जयति मंगलाकर, संसार, भारपहार, वनराकार विग्रह पुरारी। राम-रोशनाल, ज्वालामाल मिषध्यान्तचर-सलभ-संहारकारी॥”
अर्थ: “संसार में शुभता लाने वाले, सभी बोझों को हरने वाले, वानर रूप धारी की जय हो। आप राम के शत्रुओं को जलाते हैं और उनके दुश्मनों को ज्वाला में पतंगे की तरह नष्ट करते हैं।”
यह पद हनुमान जी की महिमा का बखान करता है, जो संसार में शुभता लाते हैं और सभी कष्टों को दूर करते हैं।
दूसरा पद:
“जयति मरुदंजनमोद-मंदिर, नटगृहवासुग्रीव-दुख-एकबन्धो। यतुधनोद्धत-क्रुद्ध-कालाग्निहार, सिद्ध-सुर-सज्जनानंदसिन्धो॥”
अर्थ: “मरुदनजन (पवन के पुत्र) हनुमान की जय हो, जो सुग्रीव के एकमात्र मित्र और सभी दुखों के नाशक हैं। आप क्रोधित राक्षसों को कालाग्नि की तरह नष्ट कर देते हैं और सिद्धों, देवताओं और सज्जनों के लिए आनंद का स्रोत हैं।”
यहां हनुमान जी के उन गुणों का वर्णन किया गया है जिनसे वे दुखों को हरते हैं और दुष्टों का संहार करते हैं।
तीसरा पद:
“जयति रुद्रग्रणी, विश्ववन्द्यग्रणी, विश्वविख्यात-भट-चक्रवर्ती। समघटग्रणी, कामजेतग्रणी, रामहित, रामभक्तानुवर्ती॥”
अर्थ: “रुद्र (शिव) के प्रमुख अवतार की जय हो, जिन्हें पूरी दुनिया पूजती है। आप महान योद्धाओं में श्रेष्ठ हैं, इच्छाओं के विजेता हैं और हमेशा राम के हित में लगे रहते हैं।”
यह पद हनुमान जी को शिव के अवतार के रूप में संबोधित करता है और उनकी निष्ठा और बलिदान की महिमा गाता है।
चौथा पद:
“जयति संग्रामजय, राम-संदेशहर, कौशल- कुशल-कल्याणभाषी। राम-विरहर्क-संतप्त-भरतादि नर-नारी-शीतलकरण-कल्पशशि॥”
अर्थ: “संग्राम के विजेता की जय हो, जो राम का संदेश लेकर आते हैं। आप कौशल से कल्याण की बातें करते हैं और राम के विरह से संतप्त भरत और अन्य नर-नारियों को शीतलता प्रदान करते हैं, जैसे चंद्रमा की शीतलता।”
यह पद हनुमान जी के संदेशवाहक रूप को दर्शाता है और उनके सांत्वना देने वाले स्वरूप को उजागर करता है।
पांचवा पद:
“जयति सिंहासनिन सीतारामन, निरखि निर्भार हर्ष नृत्यकारी। राम-संभ्राज शोभा-सहित सर्वदा तुलसी-मानस-रामपुर-विहारी॥”
अर्थ: “सीता और राम के साथ सिंहासन पर बैठे हनुमान की जय हो। जब आप उन्हें देखते हैं, तो आपकी खुशी इतनी अधिक होती है कि आप नृत्य करते हैं। आप तुलसीदास की रामायण में हमेशा रामपुर में विराजमान रहते हैं।”
यह पद हनुमान जी के आनंद और समर्पण को व्यक्त करता है, जब वे राम और सीता के दर्शन करते हैं, और उनका रामायण में स्थायी स्थान है।
सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व
“जयति मंगलाकर” आरती भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करती है, जो अपने भक्तों के संकट हरने वाले और राम के प्रति अटूट भक्ति के प्रतीक हैं। इस आरती का पाठ विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन किया जाता है, जो हनुमान जी के पूजन के लिए विशेष माने जाते हैं। यह आरती संकटमोचन हनुमान जी के अद्वितीय पराक्रम और भक्तों के प्रति उनके करुणामय स्वभाव को दर्शाती है। भक्तजन इस आरती को गाकर हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने और जीवन की कठिनाइयों से मुक्ति पाने का प्रयास करते हैं।
हनुमान जी को उनके साहस, शक्ति और भगवान राम के प्रति निष्ठा के लिए अत्यंत पूजनीय माना जाता है। यह आरती भक्तों को साहस, शांति, और समृद्धि प्रदान करने में सहायक मानी जाती है।
निष्कर्ष
श्री पवनसुत हनुमान जी की आरती भगवान हनुमान के बल, साहस और भक्ति को समर्पित है। इस आरती के माध्यम से भक्त हनुमान जी की कृपा प्राप्त करते हैं, जो उनके सभी संकटों को हरते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाते हैं। इस आरती को गाते समय भक्त हनुमान जी के जीवन और उनके अद्वितीय गुणों को स्मरण कर उनकी शक्ति और भक्ति से प्रेरणा ले सकते हैं।